**मनुष्य की महत्ता**
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सारा अस्तित्व
परमात्मा में ही है
सारा अस्तित्व
परमात्मा ही है
सारा अस्तित्व
अंजान है
इससे
मगर..
एक मात्र प्राणी
मनुष्य..
जानने की कोशिश करता,
जान पाता,
क्योँकि
वह
अस्तित्व में
परमात्मा
के
सबसे समीप है...
सिर्फ...
"मैं"
भर की दूरी है
मनुष्य
और
परमात्मा
के बीच...
लेकिन
यह
"मैं"
भर की दूरी ही
जो
"महत्ता" है
"अस्मिता"
की..
उफ्..ऽऽ..
हे महामाया..
कृपा कर..
"तू" ही
मिटा पाने में सक्षम है इसे..
हे महामाया..
कृपा कर..!
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